Ganesh Chaturthi 2018 Ganesh Sthapana And Puja Muhurat .Ganesh Chaturthi Muhurat:
भाद्रपद मास की शुक्ल चतु्र्थी को अत्यंत शुभ माना जाता है। भविष्यपुराण अनुसार इस दिन अत्यंत फलकारी शिवा व्रत करना चाहिए। साथ ही इस दिन से दस दिनों का गणेशमहोत्सव शुरु होता है।
गणेश चतुर्थी पूजा मुहूर्त
गणेश चतुर्थी 13 सितंबर गुरुवार को गणेश जी की पूजा और स्थापना होगी। पुराणों के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को स्वाती नक्षत्र और अपराह्न काल में भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था।
पुराणों के अनुसार गणेश जी के जन्म समय अपराह्न काल में सुबह 11:20 से दोपहर 1:30 तक गणेश जी की स्थापना और पूजा करनी शुभ है।
इसके अलावा शुभ लग्न और चोघड़िया मुहूर्त में भी गणेश जी की स्थापना की जा सकती है।
गणेश जी की पूजा और स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त -
(1) सुबह 6:25 से 7:45 तक
(2) सुबह 10:57 से दोपहर 12:15 तक
(3) सुबह 11:20 से दोपहर 1:30 तक (अपराह्न मुहूर्त - सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त)
(4) दोपहर 1:31 से 3:15 तक
(5) शाम 5:12 से 6:27 तक
(6) शास्त्रों के अनुसार सूर्यास्त के बाद मूर्ति स्थापना और प्राण-प्रतिष्ठा नहीं करनी चाहिए।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि (Ganesh Chaturthi Puja Vidhi in Hindi):
नारद पुराण के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी को विनायक व्रत करना चाहिए। यह व्रत (Ganesh Chaturthi Vrat Vidhi) करने कुछ प्रमुख नियम निम्न हैं:* इस व्रत में आवाहन, प्रतिष्ठापन, आसन समर्पण, दीप दर्शन आदि द्वारा गणेश पूजन करना चाहिए।* पूजा में दूर्वा अवश्य शामिल करें।* गणेश जी के विभिन्न नामों से उनकी आराधना करनी चाहिए।* नैवेद्य के रूप में पांच लड्डू रखें।* इस दिन रात के समय चन्द्रमा की तरफ नहीं देखना चाहिए, ऐसा माना जाता है कि इसे देखने पर झूठे आरोप झेलने पड़ते हैं।* अगर रात के समय चन्द्रमा दिख जाए तो उसकी शांति के लिए पूजा करानी चाहिए।भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को ‘गणेश चतुर्थी’ के तौर पर मनाया जाता है। हिंदुओं के आदि देव भगवान गणेश सब देवों में प्रथम पूज्यनीय है और सभी शुभ कार्यों से पहले उनकी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश हरियाली के भी देवता है। आज हम आपको बताते हैं कि ऐसे करें ‘विघ्नहर्ता गणपति की पूजा’।माना जाता है कि हर शुभ काम से पहले गणेश पूजा करने से विघ्नों का नाश होता है। भगवान गणेश विघ्नकर्ता और हर्ता दोनों हैं। कहा जाता है भगवान गणेश की परिक्रमा कर के पूजा की जानी चाहिए। परिक्रमा करते वक्त अपनी इच्छाओं को लगातार दोहराते रहना चाहिए। भगवान ऐसा करने वाले भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी करते हैं। भक्तों को विनायक के मंदिर की तीन परिक्रमा करनी चाहिए। इसके अलावा भक्त अगर भगवान विनायक को खुश करना चाहते हैं और अपनी इच्छाओं के पूरा करना चाहते हैं तो उन्हें विनायक के नाम से तर्पण करना चाहिए।भगवान गणेश को दुर्वा और मोदक बेहद प्रिय है। दुर्वा के बगैर उनकी पूजा अधूरी समझी जाती है। भगवान गणेश को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए वर्ना अशांति होती है। पद्म पुराण के मुताबिक उनकी पूजा दूब से की जाती है। घर में कभी भी तीन गणेश की पूजा नहीं करनी चाहिए। भगवान गणेश की तीन प्रदक्षिणा ही करनी चाहिए। गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन भी नहीं करने चाहिए।मान्यता के मुताबिक चंद्रमा को भगवान गणेश का श्राप लगा हुआ है। मान्यता है कि जो कोई चंद्रमा के दर्शन करेगा उस पर झूठा कलंक लग सकता है। अगर भूल से चंद्रमा के दर्शन हो जाएं तो इससे मुक्ति के लिए हरिवंश भागवतोत्त संयमन्तक मणि के आख्यान के पाठ का विधान किया गया है। कहा जाता है पूरी विधि से भगवान गणेश की पूजा करना वाले भक्त को हर खुशी मिलती है और वो सदा सुखी रहता है।श्रीगणेश चतुर्थी विघ्नराज, मंगल कारक, प्रथम पूज्य, एकदंत भगवान गणपति के प्राकट्य का उत्सव पर्व है। आज के युग में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि मानव जाति को गणेश जी के मार्गदर्शन व कृपा की आज हमें सर्वाधिक आवश्यकता है। आज हर व्यक्ति का अपने जीवन में यही सपना है की रिद्धि सिद्धि, शुभ-लाभ उसे निरंतर प्राप्त होता रहे, जिसके लिए वह इतना अथक परिश्रम करता है। ऐसे में गणपति हमें प्रेरित करते हैं और हमारा मार्गदर्शन करते हैं।विषय का ज्ञान अर्जन कर विद्या और बुद्धि से एकाग्रचित्त होकर पूरे मनोयोग तथा विवेक के साथ जो भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु परिश्रम करे, निरंतर प्रयासरत रहे तो उसे सफलता अवश्य मिलती है। गणेश पुराण के अनुसार गणपति अपनी छोटी-सी उम्र में ही समस्त देव-गणों के अधिपति इसी कारण बन गए क्योंकि वे किसी भी कार्य को बल से करने की अपेक्षा बुद्धि से करते हैं। बुद्धि के त्वरित व उचित उपयोग के कारण ही उन्होंने पिता महादेव से वरदान लेकर सभी देवताओं से पहले पूजा का अधिकार प्राप्त किया।चन्द्र दर्शन निषेध:‘जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। इस दिन चन्द्र दर्शन करने से भगवान श्री कृष्ण को भी मणि चोरी का कलंक लगा था।यदि जाने-अनजाने में चन्द्रमा दिख भी जाए तो निम्न मंत्र का पाठ अवश्य कर लेना चाहिए-‘सिहःप्रसेनम् अवधीत्, सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्वमन्तकः॥करें ऐसे गणपति पूजन: (Pooja vidhi of Ganesh ji)सर्वप्रथम एक शुद्ध मिटटी या किसी धातु से बनी श्री गणेश जी की मूर्ति घर में लाकर स्थापित करें व मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाकर षोड्शोपचार से उनका पूजन करना चाहिए तथा दक्षिणा अर्पित करके 21 लडडुओं का भोग लगाएं। इनमें से पांच लडडू गणेश जी की प्रतिमा के पास रखकर शेष ब्राम्हणों में बांट देना चाहिए। गणेश जी की पूजा सायंकाल के समय की जानी चाहिए जो उत्तम है।Ganesha Vandnaगणेश वन्दनावक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभा ।निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ||“Vakratunndd mahaakaay Suryakottisamaprabhaa. NirvighnaN kuru me dev sarvakaaryesshu sarvadaa.”Meaning: O Lord Ganesha of large body, curved trunk, with the brilliance of a million suns, please make all my work free of obstacles always.Ganpati Puja : Stepwise-wise directionsPuja must be commenced only after performing ablutions .Begin by reciting “Aum Shri Ganeshya Namah” (1)Follow this by repeating “Aum” thrice. Now take a sip of holy water and invoke the god to purify you by repeating Aum Shri Ganeshya Namah thrice and wash hands Now the puja can begin.Sprinkle the ganesha idol with rice grains and flowers and chant -‘Aum Shri Ganeshya Namah Asanam Samarpayami’Next wash the feet of the idol with rice and sandal water and chant -‘Aum Shri Ganeshya Namah Padyam Samarpayami’Next wash the hands of the idol with sandal water mixed with rice and flowers and chant -‘Aum Shri Ganeshya Namah Samarpayami’Next offer the idol water to drink , thrice , while chanting‘Aum Shri Ganeshya Namah Achmaneeyam Samarpayami ‘Next the idol has to be bathed with milk, curd, ghee. Honey and sugar. Chant -‘Aum Shri Ganeshya Namah Panchamrita Snanam Samarpayami’ .After this make holy water offering. All the five offerings are to be made separately chanting‘Aum Shri Ganeshya Namah Payah Snanam Samarpayami‘ when offering milk.‘Aum Shri Ganeshya Namah Dadhi Snanam Samarpayami‘ when offering curd.‘Aum Shri Ganeshya Namah Ghrut Snanam Samarpayami‘ when offering ghee.‘Aum Shri Ganeshya Namah Madhu Snanam Samarpayami’ when offering honey.‘Aum Shri Ganeshya Namah Sharkara Snanam Samarpayami’ when offering sugar.Now offer holy water to the idol and then wipe it clean with a piece of cloth while chanting -‘Aum Shri Ganeshya Namah Uttaraposhnam Samarpayami’.Now all the necessary ablutions have been completed.The puja will proceed by making various offerings to lord ganesha Offer raiment to the idol in the form of two threads chanting:‘Aum Shri Ganeshya Namah Vastropvastram Samarpayami’.When offering white thread repeat :‘Aum Shri Ganeshya Namah Yagyopveetam Samarpayami’.Now red sandal powder paste is applied to the brow of the idol while chanting‘Aum Shri Ganeshya Namah Gandham samarpayami’.Offer rice and chant - ‘Aum Shri Ganeshya Namah Akshtam Samarpayami’.Garland the idol, shower flowers and chant -‘Aum Shri Ganeshya Namah Puspam Samarpayami’.Offer Durva grass chanting - ‘Aum Shri Ganeshya Namah Durvan Kuran Samarpayami’.Leaves offering chanting - ‘Aum Shri Ganeshya Namah Bilvapatram Samarpayami’.Burned perfume offering to be made while chanting -‘Aum Shri Ganeshya Namah Dhoopam Agrapyami’.Perform the aarti of the idol with a ghee lamp chanting -‘Aum Shri Ganeshya Namah Deepam Darshyami’.Give sweets to the Lord, chanting - ‘Aum Shri Ganeshya Namah Naivedyam Samaryami’.Offer water to the idol - ‘Aum Shri Ganeshya Namah Achmaneeyam Samarpayami’.Offer fruit - ‘Aum Shri Ganeshya Namah Phalam Samarpayami’Offer betel nut, betel leaf, clove and cardamom and chant -‘Aum Shri Ganeshya Namah Tamboolam Samarpayami’.Offer perfume and chant - ‘Aum Shri Ganeshya Namah Itram Samarpayami’Offer coins and chant - ‘Aum Shri Ganeshya Namah Dakshinam Samarpayami’Now offer sandal rice, flower, and durva all mixed in water and chant -“Aum Shri Ganeshya Namah Vishesh Argyam Samarpayami”Now genuflect before the idol while chanting - Aum Shri Ganeshya Namah I bow before you.Finally to bring the puja to a close circle the idol in a clockwise direction while chanting -Aum Shri Ganeshya Namah Pradakshinam Samarpayami onceSRI GANESHA PUJAN VIDHI (STEPWISE)1. Deep prajjwalan evam Pujan2. Aachman3. Pavitrikaran (maarjn)4. Aasan Puja5. Svastivachan6. Sankalp7. Shri Ganesh Dhyaan8. Aavaahan v pratisthaapan9. Snaan10. Vastra evam upvastr11. Gandh v Sindur12. Pushp evam Pushpmala13. Durvaa14. Dhup15. Deep16. Naivaidya17. Daksinaa evam Shrifal18. Ganpati Aarti19. Pushpanjali20. Pradaksina21. Prarthana evam kshama Prarthana22. Pranam evam Puja Samarpan.
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