Thursday, October 1, 2020

स्वप्न रहस्य

प्राचीन ग्रंथों में तीन प्रकार की अवस्थाओं का वर्णन है- जागृत अवस्था, स्वप्न अवस्था, सुषुप्ति अवस्था

इनके अनुसार सपनों का निर्माण परमात्मा द्वारा प्राणी के कुछ कर्मों का फल प्रदान करने के लिये होता है। पुराने समय से ये मान्यता चली आ रही है कि सपने परमात्मा की माया का एक अंग है जिसमें परमात्मा जागृत अवस्था की तरह इच्छित वस्तुएं देता है। वेदों के अनुसार कुछ सपने भविष्यवाणी करने वाले भी होते हैं। कुछ सपनों में आने वाले दृश्यों के अर्थ अग्नि-पुराण में मिलते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार कुछ सपने मृत आत्माओं द्वारा भी पैदा किये जाते हैं। वेदों के अनुसार अगर हिंसात्मक सपनों में हम वीरता का परिचय देते हैं तो यह हमें वास्तविक जीवन में भी सफलता प्रदान करता है। यदि हम ऐसे सपनों में कुछ नहीं करते तो यह हमारे भविष्य में अनिष्ट का सूचक होता है। उपनिषदों के अनुसार सपने के बारे में दो मत हैं। एक मत के अनुसार हमारे स्वप्न हमारी इच्छाओं के प्रतिबिंब मात्र होते हैं। दूसरे मत के अनुसार हमारी आत्मा स्वप्न अवस्था में भौतिक शरीर को छोड़कर बाहर विचरण करती है जहां उसे मार्गदर्शन प्राप्त होता है।


इन हालात में दिखते हैं अर्थहीन सपने

जब कभी मन बाहरी तनाव, चिंता, अत्यधिक भोजन, प्राकृतिक आवेग आदि से ग्रस्त होकर नींद में लीन होता है, उस समय के सपने अर्थहीन होते हैं। हमारे शरीर में वात, पित्त, कफ के असंतुलन से भी सपने आते हैं।


- शरीर में वात दोष की अवस्था असंतुलित होने पर व्यक्ति हवा में उडऩे, ऊंचाई से गिरने, पहाड़ों पर चढऩे, सीढिय़ां चढऩे के स्वप्न देखता है।


- पित्त दोष की अवस्था असंतुलित होने पर आग जलने, मकान जलने, लाल और पीले रंग की वस्तुओं आदि के स्वप्न देखता है।


- कफ दोष की अवस्था के असंतुलित होने पर जलाशयों, बगीचों में भ्रमण, पानी में तैरने आदि के स्वप्न देखता है। कभी-कभी निंद में हृदय पर हाथ रख देने से डरावने सपने आते हैं जिनका फल भी निरर्थक होता है। दिन में देखे गए सपने किसी के प्रति अति प्रेम, घृणा या मन की अस्वस्थता के कारण ही आते हैं।


दिव्य और पूर्वाभास वाले सपने-

कई बार व्यक्ति किसी एक ही सपने को नींद में बार-बार घटित होते देखता है या सपने में घटित घटना को सच्चाई में बदलते हुए भी देखता है। ऐसा उन लोगों के साथ होता है जिनकी पूर्वाभास करने की अतिइंद्रिय शक्ति

ज्यादा विकसित होती है और जो मन से अति संवदेनशील होते हैं। इसके अलावा ज्योतिष के अनुसार जिन लोगों की जन्मकुंडली में धर्म स्थान यानी नवम भाव बली हो, नवम भाव से चंद्रमा और शनि का सम्बन्ध हो, नवांश कुंडली में चंद्रमा का नवम भाव से संबंध हो, चंद्रमा या शनि वर्गोत्तम हो या बली हो तो चंद्रमा या शनि की दशाकाल में सपनों द्वारा पूर्वाभास होने की संभावना होती है और ईश्वर से संबंधित सपने आने के साथ ही सपनों में घटी घटनाएं हकीकत में होने लगती है।


सपनों की शुभता और अशुभता

रात्रि के प्रथम प्रहर में देखे गए स्वप्न का फल एक वर्ष, दूसरे प्रहर का छह मास, तीसरे प्रहर का तीन मास और चौथे प्रहर में देखे गए स्वप्न का सात दिवस या एक मास के भीतर प्राप्त होता है। चौथे प्रहर यानी सूर्योदय के आसपास देखे गए स्वप्न के सत्य होने की संभावना अधिक रहती है। बुरा स्वप्न देखने के पश्चात जागने पर वापस सो जाएं, तो उस स्वप्न की अशुभता समाप्त होती है। शुभ स्वप्न की चर्चा किसी से नहीं करने पर उसके शुभ फल की प्राप्ति होती है।


सपनों के प्रकार

दृष्ट- जो जाग्रत अवस्था में देखा गया हो उसे स्वप्न में देखना।

श्रुत- सोने से पूर्व सुनी गई बातों को स्वप्न में देखना।

अनुभूत- जो जागते हुए अनुभव किया हो उसे देखना।

प्रार्थित- जाग्रत अवस्था में की गई प्रार्थना की इच्छा को स्वप्न में देखना।

दोषजन्य- वात, पित्त आदि दूषित होने से स्वप्न देखना।

भाविक- जो भविष्य में घटित होना है, उसे देखना। उपर्युक्त सपनों में केवल भाविक ही विचारणीय होते हैं।


किस सपने का फल कब मिलेगा

प्रकृति अपने ढंग से भावी शुभाशुभ संकेत देती है। स्वप्न भी इसका माध्यम होते हैं। स्वप्नों के फलों की विवेचना के संदर्भ में भारतीय ग्रंथों में इनके देखे जाने के समय, तिथि व अवस्था के आधार पर इनके परिणामों का सूक्ष्म विश्लेषण किया गया है। इनके अनुसार-


- शुक्ल पक्ष की षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी तथा कृष्ण पक्ष की सप्तमी तथा चतुर्दशी तिथि को देखा गया स्वप्न शीघ्र फल देने वाला होता है।

- पूर्णिमा को देखे गए स्वप्न का फल अवश्य प्राप्त होता है।

- शुक्ल पक्ष की द्वितीया, तृतीया व कृष्ण पक्ष की अष्टमी, नवमी को देखा गया स्वप्न विपरीत फल प्रदान करता है।

- शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा, कृष्ण पक्ष की द्वितीया के स्वप्न का देरी से फल प्राप्त होता है।

- शुक्ल पक्ष की चतुर्थी व पंचमी को देखे गए स्वप्न का फल दो माह से दो वर्ष के अंदर प्राप्त होता है।

- रात्रि के प्रथम, द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ प्रहर के स्वप्नों का फल क्रमश: एक वर्ष, आठ माह, तीन माह व छ: दिन में मिलता है।

- उषाकाल में देखे गए स्वप्न का फल दस दिन में मिलता है।

- सूर्योदय से पूर्व देखे जाने वाल स्वप्न का फल अतिशीघ्र प्राप्त होता है।


सपने में सोचे हुए प्रश्रों केे उत्तर प्राप्त करना-

सापने मे अपने प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने के लिए आपको शंकर मंदिर में पूजा-पाठ करवाना चाहिए। शंकर मंदिर में पूजा-पाठ करवाने के बाद वहीं पर मुर्ति के पास ही सोना चाहिए। जानिए कैसे करें ये क्रिया-


सपने में प्रश्रों के उत्तर प्राप्त करने के लिए आप सुबह जल्दी उठकर नहा लें और शंकर मन्दिर जाएं। वहां जाकर कुशा के बड़े आसन पर बैठकर शिव जी की पूजा करें। पूजा करने के बाद नीचे लिखे मंत्र का 108 बार जप करें।


मन्त्र- ऊॅ हिलि हिलि शूल पाणेय स्वाहा


उसके बाद पूरे दिन इस मन्त्र का जप करें-

मन्त्र- ऊॅ नमो भगवते रूद्राय मम तुणेरन्ध्रे प्रविश्च अतीतानागत वर्तमानं सत्यं ब्रूहि-ब्रुहि स्वाहा।

इस मन्त्र को दस हजार बार जप कर के इसका दशांश हवन करें यानी एक हजार मंत्रों से हवन करें।

फिर रात को सोते समय दाहिनी करवट से सो जाएं। और इस मन्त्र का मन ही मन जप करें और अपने प्रश्न के बारे में सोच कर सो जाएं। आपको अपने प्रश्र का उत्तर सपने में मिल जाएगा।


सपनों से जानें ग्रह दशा

ज्योतिष की दृष्टि से स्वप्र का संबंध मन से है और मन का कारक ग्रह चंद्रमा है। व्यक्ति की ग्रहों की दशा स्थिति के अनुसार स्वप्न निर्धारित होते हैं। व्यक्ति की जन्मकुंडली में यदि चंद्रमा अकेला स्थित हो उसकी किसी अन्य ग्रह के साथ युति या दृष्टि न हो, शत्रु क्षेत्रीय या अस्त न हो, नवांश में वर्गोत्तम हो, तो शुभ फलप्रद होता है।


ऐसे व्यक्तियों को स्वप्न बहुत कम आते हैं लेकिन यदि चंद्रमा की किसी ग्रह के साथ युति या दृष्टि संबंध हो, तो ग्रहों की शुभता-अशुभता के अनुसार स्वप्न आते हैं और उनका फल प्राप्त होता है।


- चंद्रमा की राहु ग्रह के साथ युति होने पर और चंद्रमा या राहु की दशा आने पर सर्प, भूत-प्रेत, पितृ, खंडहर और डरावने स्वप्न आते हैं। स्वप्न में सर्प अधिक दिखने का कारण पितृ दोष होता है। यदि स्वप्न में पितृ कोई मांग रखे तो उसकी पूर्ति करने से काम में आ रही रही रुकावटें दूर होती है।


- चंद्रमा की केतु ग्रह के साथ युति होने पर ध्वजा, बिल्ली, बकरी आदि जानवर, मांस भक्षण, मदिरा पान, चंद्र सूर्य ग्रहण, तारों और आकाश, शत्रु का वध करना आदि से संबंधित स्वप्न आने की संभावना होती है।


- चंद्रमा की शुक्र ग्रह के साथ संबंध होने पर आभूषण, नए वस्त्र, नए बर्तन, अलंकृत सुंदर स्त्रियां, प्रेमिका, लाल गुलाब, पुष्प, चांदी, कमल, सुंदर प्राकृतिक दृश्य, भरा घड़ा आदि के स्वप्न अधिक आते हैं।


- चंद्रमा की बुध ग्रह के साथ युति होने पर व्यक्ति बाग-बगीचे, पक्षी, मोर, तराजू, व्यापार, लाइब्रेरी, बहन और मौसी के परिवार आदि को स्वप्न में अधिक देखता है।


- चंद्रमा की बृहस्पति ग्रह के साथ संबंध होने पर अधिकांशत: देवी-देवताओं, गुरुजन, वेदमंत्रों का पाठ, पुस्तकें, अध्ययन स्थल, संन्यासी, गाय, मंगल गीत, भोजन आदि के स्वप्न आने की संभावना होती है।


चंद्रमा की शनि ग्रह के साथ युति होने पर विमान, स्वयं को उड़ते हुए देखना, किसी की मृत्यु का पूर्वाभास, सीढिय़ां चढऩा, काले वस्त्र पहने हुए व्यक्ति और पतंग उड़ाना आदि के स्वप्न अधिक आते हैं।


- चंद्रमा की सूर्य ग्रह के साथ युति, संबंध, अंतर आदि होने पर हाथी, सिंहासन, नदी, राजा, राजमहल, शिवलिंग, सूर्य, घोड़ा, दर्पण, दीपक आदि स्वप्न में आने की संभावना अधिक होती है।


- चंद्रमा की मंगल ग्रह से युति होने पर जलती हुई अग्नि, लाल वस्त्र धारण किए हुए व्यक्ति, रूदन, कोयल, हिरण, भव्य महल, निर्माण कार्य आदि को स्वप्न में देखता है।


- चंद्रमा की मंगल ग्रह से युति होने पर जलती हुई अग्नि, लाल वस्त्र धारण किए हुए व्यक्ति, रूदन, कोयल, हिरण, भव्य महल, निर्माण कार्य आदि को स्वप्न में देखता है।


स्वप्न विद्या का इतिहास-


सपनों द्वारा समस्याओं का समाधान एक बहुत ही प्राचीन विज्ञान है जिसके बारे में अरस्तु और सुकरात जैसे दार्शनिकों से लेकर मनोवैज्ञानिकों ने अपने-अपने विचार दिए हैं। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार स्वप्न हमारे अवचेतन मन का दर्पण हैं जो हमारी कुंठित इच्छाओं की अभिव्यक्ति का मार्ग भी है। प्राचीन समय से कई ग्रंथों में भविष्यवाणी करने वाले स्वप्नों का उल्लेख है।


- यदि हम स्वप्न ज्यातिष के लिखित इतिहास की खोज करें तो ईसा से करीब 3000 वर्ष पूर्व मैसोपोटामिया में सुमेर सभ्यता के लोगों ने भी स्वप्नों के बारे में लिखा है।


- प्राचीन यहूदी भी मानते थे कि सपने हमें ईश्वर के साथ जोड़ते हैं और वह हमारे ईश्वर से संबंध का प्रतीक है। यहुदियों के प्राचीन ग्रंथ- ''तालमूदÓÓ में 200 से अधिक स्वप्नों का उल्लेख है।


- प्राचीन मिस्र वासी राजाओं के स्वप्नों पर विश्ेाष ध्यान देते थे क्योंकि उनका यह मानना था कि देवी-देवता राजाओं के स्वप्नों में दर्शन देते हैं। प्राचीन मिस्र में सपनों के देवता सेरापिस थे। वहां के लोगों ने उनके मंदिर भी बनवाये। जहां लोग जाकर सपने देखते थे और अपने अच्छे-बुरे सपनों को देवता के सामने सुननाते थें।


- चीन के लोग यह मानते थे कि सपनों का निर्माण सपने देखने वाले व्यक्ति की आत्मा द्वारा होता है। उनका यह भी मानना था कि व्यक्ति की आत्मा शरीर को छोड़कर स्वप्न में मृत व्यक्तियों के लोक में घुमती है।


- प्राचीन ग्रीस में लोगों का यह मानना था कि स्वप्न में देवी-देवता लोगों को दर्शन देते हैं। ये देवता व्यक्ति के स्वप्न में जाकर उसे दिव्य संदेश देकर वापस लौट जाते हैं।


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